सवाल – जो व्यक्ति खुद के पैरों पर खड़ा तक नहीं हो पा रहा है वह किसी के घर जाकर कैसे मारपीट कर सकता है।
चौकी इंचार्ज ने मौके पर पहुंच क्यों नहीं जांच की ।
घायल अवस्था में चौकी पहुंचे आधा दर्जन लोगों को चौकी से क्यों भगाया गया ।
घायलों का चौकी इंचार्ज के द्वारा मेडिकल क्यों नहीं कराया गया।
पुलिस के द्वारा घटना 11 अप्रैल को बताई जा रही है जबकि मैडिकल रिपोर्ट 10 अप्रैल की हैं बस यहीं से चौकी इंचार्ज की भूमिका संदिग्ध नजर आ रही है।
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रह/मथुरा । पुलिस की कार्य प्रणाली भी अजीबो गरीब है पुलिस चाहे तो आरोपी को पीड़ित बना दे चाहे तो पीड़ित को ही आरोपी बना दे। ऐसा ही एक मामला पुलिस चौकी ओल से सामने आया है । कस्बा ओल निवासी ब्रजवासी ने कोमल को पचास हजार रुपए उधार दिए थे उधार दिए पैसा मांगने ब्रजवासी की पत्नी कोमल के घर गई कोमल ने उसको गाली देकर अपने घर से भगा दिया यह बात पत्नी ने घर आकर बताई तो ब्रजवासी ने अपने पिता को कोमल के घर भेजा कोमल ने पिता गयाशीराम के साथ मारपीट कर दी सूचना पर अन्य परिजन भी कोमल के घर पहुंच गए वहीं कोमल के परिजनों ने पीड़ित ब्रजवासी के परिजनों के साथ मारपीट कर दी जिसमें आधा दर्जन लोग घायल हो गए सभी घायल पुलिस चौकी पहुंचे जहां पुलिस उन्हें चौकी से भगा दिया और उल्टा पीड़ित पक्ष के खिलाफ ही मुकदमा दर्ज कर दिया।
दस अप्रैल को ओल में पैसे के लेनदेन में दो पक्षों में विवाद हुआ था। उधारी के पैसे मांगने पर आरोपी पक्ष ने महिलाओं सहित परिवार के पांच से अधिक लोगों को लाठी डंडों से पीट पीट कर घायल कर दिया। यहां तक कि अपने परिजनों के बचाव में आए बीएसएफ के जवान को भी आरोपियों ने लहूलुहान कर दिया जिसका उपचार जयपुर के एक निजी अस्पताल में चल रहा है।
पीड़ित ब्रजवासी का एक माह पहले एक्सीडेंट हो गया था जिसमें उसका एक हाथ व एक पैर में गंभीर चोटें आईं थीं ।
उसके पैर और हाथ में सरिया पड़ी हुई हैं चलने फिरने में नाकाम है जिसको पुलिस ने घर में घुसकर मारपीट का आरोपी बना दिया है। अपने खिलाफ झूठी कार्यवाही होने पर पीड़ित परिवार ने सोमवार को एसएसपी कार्यालय पहुंच कर मदद की गुहार लगाई है । बताते चले पीड़ित का का एक माह से बदस्तूर इलाज चल रहा है उसे उसके परिजन सहारा देकर दैनिक क्रियाओं के लिए ले जाते है।