जिलाधिकारी डॉ. इन्द्रमणि त्रिपाठी ने मंगलवार को कलेक्ट्रेट स्थित मानस सभागार में मा० मुख्यमंत्री युवा उद्यमी विकास अभियान योजना के अंतर्गत उद्यमियों द्वारा प्रेषित ऋण आवेदन पत्रों की विस्तृत समीक्षा की। इस अवसर पर उन्होंने विभिन्न बैंक शाखा प्रबंधकों से शाखावार लंबित ऋण आवेदनों की जानकारी लेते हुए निर्देश दिए कि सभी आवेदन पत्रों की गहनता से जांच कर नियमानुसार एक सप्ताह के भीतर ऋण स्वीकृति पत्र जारी करना सुनिश्चित करें।
डॉ. त्रिपाठी ने कहा कि राज्य सरकार स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए युवाओं को ऋण उपलब्ध करवा रही है ताकि वे आत्मनिर्भर बनकर प्रदेश एवं देश के विकास में सहभागी बन सकें। उन्होंने यह भी निर्देशित किया कि यदि किसी आवेदन में कोई त्रुटि या कमी हो, तो उसे एक बार में ही स्पष्ट कर दिया जाए ताकि ऋण प्रक्रिया में अनावश्यक विलंब न हो।
बैठक के दौरान जिलाधिकारी ने विभिन्न बैंकों में लंबित पत्रावलियों की समीक्षा करते हुए संबंधित जिला समन्वयकों को सख्त निर्देश दिए:
सेंट्रल बैंक ऑफ़ इंडिया – 24 पत्रावलियाँ
उत्तर प्रदेश ग्रामीण बैंक – 35 पत्रावलियाँ
पंजाब नेशनल बैंक – 26 पत्रावलियाँ
यूनियन बैंक ऑफ़ इंडिया – 25 पत्रावलियाँ
बैंक ऑफ़ बड़ौदा – 16 पत्रावलियाँ
केनरा बैंक – 10 पत्रावलियाँ
इंडियन बैंक – 6 पत्रावलियाँ
सभी से एक सप्ताह के भीतर स्वीकृति व वितरण की कार्रवाई पूर्ण करने को कहा गया।
स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया (28), बैंक ऑफ़ महाराष्ट्र (2) एवं एचडीएफसी बैंक (33) की पत्रावलियाँ भी लंबित हैं, लेकिन इन बैंकों के समन्वयक बैठक में अनुपस्थित रहे, जिससे उनके मामलों पर चर्चा नहीं हो सकी। जिलाधिकारी ने इस गैरहाजिरी पर कड़ा रोष व्यक्त करते हुए चेतावनी दी कि जनकल्याणकारी योजनाओं के तहत प्राप्त आवेदन पत्रों को अनावश्यक रूप से लंबित रखने या रोके जाने पर संबंधित अधिकारियों के विरुद्ध नियमानुसार कार्यवाही की जाएगी।
बैठक में मुख्य विकास अधिकारी संत कुमार, लीड बैंक मैनेजर राजीव सिंह, दुर्गेश कुमार (उपायुक्त उद्योग), हेमंत कुमार (सहायक प्रबंधक), अंशुल पटेल (डाटा एंट्री ऑपरेटर) सहित विभिन्न बैंकों के शाखा प्रबंधक उपस्थित रहे।